विनाश ही आरंभ है मृत्यु ही प्रारंभ है सुकून भरम का वियोम है मचलते चित में छिपा ओम है कर सफर किसी कि राह में ना थम के बैठ किसी की चाह में जो आंखें खो चुकी है रोशनी साथ लेके रस्ता चिराग़ कर .. सांस भर ,थोड़ा ठहर पर्वतों के पीछे उग रहा शहर.. #lifecycle