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बादलों की आवारगी तो देखिए घिर कर आए ख़ूब गरजे और चल

बादलों की आवारगी तो देखिए
घिर कर आए ख़ूब गरजे और चल दिये।

गुस्ताख़ हवाओं का रुख़ पकड़ लेते हैं!
उसके थमते ही अकड़ लेते हैं।

चिढ़ गए मेरे कहने से और
टूटकर बरस पड़े।

तुम्हें इज़ाजत है आज रूखे तन
और प्यासी रूह को नम कर दो।

भिगो कर गुस्ताख़ हवाओं को
आज तुम सलिल बल दिए। ♥️ Challenge-967 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
बादलों की आवारगी तो देखिए
घिर कर आए ख़ूब गरजे और चल दिये।

गुस्ताख़ हवाओं का रुख़ पकड़ लेते हैं!
उसके थमते ही अकड़ लेते हैं।

चिढ़ गए मेरे कहने से और
टूटकर बरस पड़े।

तुम्हें इज़ाजत है आज रूखे तन
और प्यासी रूह को नम कर दो।

भिगो कर गुस्ताख़ हवाओं को
आज तुम सलिल बल दिए। ♥️ Challenge-967 #collabwithकोराकाग़ज़

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