मेरे रोने से तुँ शुरु हुई दुसरोँ के रोने पर खत्म ! कहि पर तु मजबुरी तो कहिँ पर हैँ मेहरबानियाँ ! वाह रे जिँदगी क्या हैँ तेरी अठखेलियाँ! कहिँ पर तेरे लिऍ गाली ग्लोच तो कहिँ मधुर बोलियाँ ! कहिँ हैँ हार के चुटकले तो कहिँ हैँ तेरे लिऍ जीत की पंजल्स पहेलियाँ ! वाह रे जिन्दगी क्या हैँ तेरी अठखेलियाँ ! कहिँ पर तेरे लिऍ सुखी रोटी तो कहिँ पर पापङ पुङियाँ ! कहिँ पर झुग्गी झोँपङी तो कहिँ पर हैँ तेरे लिऍ सात हवेलियाँ ! वाह रे जिन्दगी क्या हैँ तेरी अठखेलियाँ ! लेखक==हसन खाँन कहिँ हैँ 🥰🥰🥰🥰🥰