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ऐ-मुर्शिद इस अंजुमन में, हर कोई ज़हीर है क्या, रक्

ऐ-मुर्शिद इस अंजुमन में, हर कोई ज़हीर है क्या,
 रक्त का रंग एक है, फिर रईसो के संग ग़रीब है क्या,
वो तो हर किसी के मोहबतो का रियान है,
फिर ज़फ़ा की रात में मजलूमो के निगेहबान है क्या।
तमाशा देखती है दुनिया, 
गर बिखर जाये कोई टूटकर, 
परिंदे भी नोच खाते है मांस, मरा सोचकर, 
इस ज़हा की परिस्तिश में कोई अश्फाक है क्या,
सहेज़ लिया होता खुद को वो, 
गर इबादत की तास्लिम जानता,
फिर उसके लिए रईस और गरीब की इबादत में फर्क है क्या।
नफ़रतों के साये से किसका ज़मीर जफ़र बना है,
फांका रखकर सोने वाला हर कोई जाहिद है क्या
सरगम के सफर में दुआ ही ज़हीर बना है।
माँ की दुवाओ से बड़ी इबादत है क्या।

©Pradeep Sargam💐💐 #Nojoto #shayri #Hindi 
Abdullah Qureshi zarri farha Roshni Bano Vasudha Uttam Pragati Jain shayari dil ki💓 

#steps
ऐ-मुर्शिद इस अंजुमन में, हर कोई ज़हीर है क्या,
 रक्त का रंग एक है, फिर रईसो के संग ग़रीब है क्या,
वो तो हर किसी के मोहबतो का रियान है,
फिर ज़फ़ा की रात में मजलूमो के निगेहबान है क्या।
तमाशा देखती है दुनिया, 
गर बिखर जाये कोई टूटकर, 
परिंदे भी नोच खाते है मांस, मरा सोचकर, 
इस ज़हा की परिस्तिश में कोई अश्फाक है क्या,
सहेज़ लिया होता खुद को वो, 
गर इबादत की तास्लिम जानता,
फिर उसके लिए रईस और गरीब की इबादत में फर्क है क्या।
नफ़रतों के साये से किसका ज़मीर जफ़र बना है,
फांका रखकर सोने वाला हर कोई जाहिद है क्या
सरगम के सफर में दुआ ही ज़हीर बना है।
माँ की दुवाओ से बड़ी इबादत है क्या।

©Pradeep Sargam💐💐 #Nojoto #shayri #Hindi 
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