एक साज बना आवाज़ बना फिर से तू नया आगाज़ बना तू बना नही यूं बुझने को अपने भीतर फिर आग लगा उठ चल फिर खड़ा हो पैरों पर मत रौब दिखा यूं इन बैरो पर तेरे भीतर जो कुछ टूटा है कइयों से उतना छूटा हैं फिर बरबस डर क्यू मान रहा क्यूं खुद को नही पहचान रहा निज डर को दे दुत्कार अभी अवसर का कर सत्कार अभी जीवन के अग्निपथ पर चल नही जरा सी बातों पर जा मचल धर धीर वीर गंभीर जरा बन लक्ष्यों के प्रति अधीर जरा बन जो कुछ खोया है वो पायेगा हर शक्श बाद पछताएगा ©Ankur tiwari #yogaday एक साज बना आवाज़ बना फिर से तू नया आगाज़ बना तू बना नही यूं बुझने को अपने भीतर फिर आग लगा उठ चल फिर खड़ा हो पैरों पर मत रौब दिखा यूं इन बैरो पर तेरे भीतर जो कुछ टूटा है