कड़वा सच आज लोकतंत्र की हत्या देखी, रक्षक समाज की मिथ्या देखी। जनहित में समस्या का सार बहे, प्रतिनिधित्व का भ्रष्टाचार सहे। एक पक्ष की सुनता शासन, लोकतंत्र में बिकता शासन। न्याय विकास पर बोलना, है आज अपराध को तोलना। देश समाज पर काबिज पदाधिकारी, उनकी तबलमंजनी करते अधिकारी। राग सिफारिशों का अलापा है, काम रिश्वतों का सब होता है। लोकतंत्र नें भ्रष्टाचारियों का जलवा है, फेकतंत्र में अधिकारियों का वलबा है। बाबा विचार