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समाज की बेड़िया सबको एक  नजर  से नहीं देखती; यहाँ द

समाज की बेड़िया सबको एक  नजर  से नहीं देखती; यहाँ दिखता है भेद भाव महिला-पुरुष,लड़के और लड़की में  !

समानता खो गयी है मन के किसी कोने में,अब तो मज़ा सा आने लगा है रोज रोज रोने में !!

आप को नहीं समझता; न समझ पायेगा कोई आप से बेहतर,इसलिए भरोसा मत करना किसी दूसरे को अपना कहकर! . 

यहां कदम  कदम पर काटे बिछाते है लोग और हस कर आप पर; आपके सामने से जाते है लोग !

समानता खो गयी है मन के किसी कोने मे अब तो मज़ा सा आने लगा है रोज रोज रोने में !!

पर बेशक इस समाज को हमे ही बदलना होगा, इस दुनिया में जीने के लिए हमे ही मरना होगा !

दो चेहरे लेकर यहा जीते है लोग, अपनापन जता कर आप ही के कपडे खींचते है लोग !!

भरोसा नहीं होता अब किसी अपने के पास जाने में, अब तो मज़ा सा आने लगा है रोज रोज रो जाने में !!

सोचते है टूट जाएगी वो जो सबको संभालती है,भूल मत उसने तुझे भी संभाला है और खुद को भी संभालती है!! 

बराबरी,प्यार और सम्मान का हक़ उसको भी चाहिए इंसान है वो भी दिल मत दुखाइए !! 


Write by: Sonam Verma when I'm totally broken.#silentwords #barabrikahaqq
समाज की बेड़िया सबको एक  नजर  से नहीं देखती; यहाँ दिखता है भेद भाव महिला-पुरुष,लड़के और लड़की में  !

समानता खो गयी है मन के किसी कोने में,अब तो मज़ा सा आने लगा है रोज रोज रोने में !!

आप को नहीं समझता; न समझ पायेगा कोई आप से बेहतर,इसलिए भरोसा मत करना किसी दूसरे को अपना कहकर! . 

यहां कदम  कदम पर काटे बिछाते है लोग और हस कर आप पर; आपके सामने से जाते है लोग !

समानता खो गयी है मन के किसी कोने मे अब तो मज़ा सा आने लगा है रोज रोज रोने में !!

पर बेशक इस समाज को हमे ही बदलना होगा, इस दुनिया में जीने के लिए हमे ही मरना होगा !

दो चेहरे लेकर यहा जीते है लोग, अपनापन जता कर आप ही के कपडे खींचते है लोग !!

भरोसा नहीं होता अब किसी अपने के पास जाने में, अब तो मज़ा सा आने लगा है रोज रोज रो जाने में !!

सोचते है टूट जाएगी वो जो सबको संभालती है,भूल मत उसने तुझे भी संभाला है और खुद को भी संभालती है!! 

बराबरी,प्यार और सम्मान का हक़ उसको भी चाहिए इंसान है वो भी दिल मत दुखाइए !! 


Write by: Sonam Verma when I'm totally broken.#silentwords #barabrikahaqq
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Ias verma

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