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यहां वहां जहां तहां जो पसरे हैं सब अंधरों के रंग

यहां वहां 
जहां तहां
जो पसरे हैं सब अंधरों के रंग हैं
यूं अंधेरों भरी रातें हर किसी के हिस्से थोड़ी
आएंगी 


ये भाषा जो तुम पढ़ने में लगे हो
उलझ जाओगे रहने दो

अंधेरों की भाषा है
ये चंदनी ओढ़ सोने वालों के समझ थोड़ी आएगी

©Manish Sarita(माँ )Kumar
  अंधेरे