जब आंखे बंद हो जायेगी तब ना कोई तुम्हारा रहेगा। ये दुनिया की दौलत ये रिश्ते यही रह जायेगे। ये जिंदगी के पक्षी पिंजरा तोडकर उड जायेगे।। ना कुछ लाये थे ना कुछ ले जाओगे। जो राजा बनकर आये थे वह भी रंक बनकर चले गये। मत कर गुरूर इस शाहे शरीर पर मेरा भी खाक होगा तेरा भी खाक होगा।। बस फर्क़ मुझे दफना दिया और तुझे जला दिया जायेगा।। ना तेरी कफन मे जेब है ना मेरी कफ़न मे जेब है।। फिर इस दौलत के लिए इतनी दीबानगी क्यों है।। क्यो बो रहे ये नफरत के बीज इन चंद पैसों की खातिर जिन्हें आने वाली पीढ़ी काट ना सके।।क्योंकि कभी कभी जिनके पास दौलत के अंबार होते हैं उन्हें दो कंधे भी नसीब नहीं होते हैं और जो जीते अमन और दूसरो के लिए जिन्दगी।। उनके लिए कंधो को भी जगह मुश्किल से मिलती है तुझे गुरूर किसका है