बेबाक स्याह आंँखें तुम्हें देखती जाती है मुकम्मल हुई मौत ,अब रूह रस्म निभाती है 🎀 Challenge-342 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 15 शब्दों अथवा 2 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।