चाहता रहा वो बेइंतहा मुझको ताउम्र अपने दिल ही दिल में, मोहब्बत उसे भी थी पर उसने कभी हमको बताया ही नहीं। चलता रहा मेरे साथ साथ हमेशा कदम से कदम मिलाकर, चल रहा है क्या उसके दिल में उसने कभी जताया ही नहीं। जिंदगी की हर मुश्किल घड़ी में वो हमसाया बन कर साथ रहा, अपने दिल की कशमकश को उसने कभी समझाया ही नहीं। मेरे गमों को समझकर वो हमेशा उनको खुशियों में बदल देता था, पर उसका दिल गमगीन रहता है उसने कभी दिखाया ही नहीं। जीता रहा मेरी ही खुशी के लिए मेरी हर ख्वाहिश पूरी करता रहा, ख्वाहिश है क्या उसके दिल में "एक सोच"को कभी बताया ही नहीं। 🌷सुप्रभात🌷 👉🏻 प्रतियोगिता- 264 🙂आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा शब्द है 👉🏻🌹"मोहब्बत उसे भी थी"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या