अरे तू ये ध्यान रख ये सब शुरु किस्ने किया? भाईसाहब मेरी आदत नही हाथ फेलाने कि और ना ही गिड़गिड़ाने की। अपना स्वेग है बरो, भीख माँगने तू आया था मेरे पास, दिन-रात मांगी सुभे-शाम मांगी, ओर मेरी दिली-फितरत ,मै घर आए फकीर की एक मेहमान की तरह खिदमत करती हू और खाली हाथ नही भेजती, वर्ना तू और मेरी भीख के भी लायाक ? शकल देख अपनी। पर अब मत आना क्योंकी खाली मै किसी को भेजती नही और तुझे देने क लिये मेरे पास कछ नही। swag hai