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कुछ एहसास आंखो की पलकों तले ही दब के रह जाते है।

कुछ एहसास आंखो की 
पलकों तले ही दब के रह जाते है। 
और कभी कभी आंसु में बह के,
 तकिये गीले हो जाते है। किसी की मोहब्बत यही तक मुक्कमल हो पाती है।
कुछ एहसास आंखो की 
पलकों तले ही दब के रह जाते है। 
और कभी कभी आंसु में बह के,
 तकिये गीले हो जाते है। किसी की मोहब्बत यही तक मुक्कमल हो पाती है।

किसी की मोहब्बत यही तक मुक्कमल हो पाती है।