आज हवस इतनी बढ गई,,,,कि क्रुरता की भी रुँह काँप गई,,,,कैसा हो गया इंसान इतना हैवान,,, शायद इंसान बचा ही नही हे! हमारी जिदंगी ले लै हमे वापिस पैदा करना मोहन के अवतार के समय जहाँ मुहोब्बत ही मुहोब्बत है नही रहना है मुझे