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बहती हवा को कब, कौन रोक पाया हैं इश्क़ भला छिपान

बहती हवा को कब,  कौन रोक पाया हैं 
इश्क़ भला छिपाने से कब छिप पाया हैं 

उनकी सादगी की ख़ुशबू से महकता हूँ
किरण वो, उनकी रोशनी से चमकता हूँ 

दर्द-ए-दिल में छुपे ग़म हज़ारों हैं "कृष्ण"
हमदर्द-दिल  से कहाँ कुछ छिप  पाया हैं 🎀 Challenge-451 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 

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🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
बहती हवा को कब,  कौन रोक पाया हैं 
इश्क़ भला छिपाने से कब छिप पाया हैं 

उनकी सादगी की ख़ुशबू से महकता हूँ
किरण वो, उनकी रोशनी से चमकता हूँ 

दर्द-ए-दिल में छुपे ग़म हज़ारों हैं "कृष्ण"
हमदर्द-दिल  से कहाँ कुछ छिप  पाया हैं 🎀 Challenge-451 #collabwithकोराकाग़ज़

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krishvj9297

Krish Vj

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