मुकर गए वो बात से हर बार की तरह। खड़े हैं चाहतों के बीच वो दीवार की तरह।। उठ गए यकीन उनके ईमान से यारों। बिक रहे हैं किरदार जो अखबार की तरह।। Mukar Gye Wo Bat Se Har Bar Ki Trah Khare Hain Chahton ke Bich Wo Diwar Ki Trah Uth Gye Ykin Unke Iman Se Yaron Bik Rhe hain Kirdar Jo Akhbar Ki Trah Adnan Rabbani's Shayari • #मुकर गए वो #बात से हर बार की #तरह। #खड़े हैं #चाहतों के बीच वो #दीवार की तरह।। उठ गए यकीन #उनके #ईमान से यारों। बिक रहे हैं किरदार जो #अखबार की तरह।।