कन्हैया मुरली वाले ,तेरे सारे कार्य निराले घनघोर घटायें छाई ,काली रात ले अंगड़ाई फ़िर उमड़ घुमड़ के बदरा बारिस की झाड़ी लगाई , तब खोले जेल के ताले मनमोहन मुरलीवाले वसुदेव को यत्न बतया ,और नींद में सबकों सुलाया यमुना जी चरण छुअन को ,अरमान थे जाने कब के , दियो कान्हा ने पैर लटकाय जय हो मुरलीवाले अब गोकुल रास रचावत ,घर घर माखन दूध लुटावत राधा संग नचात गवात,और ग्वाल बाल को सिखावात प्रेम की चाल, जय हो गोकुल नंद लाल मन मोहन मुरलीवाले चुन चुन कर दुष्ट संघारे ,जा मथुरा कंस को मारे करे मातु पिता को निहाल जय हो कालिया नाथ ने वाले मुरलीवाले