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अधूरे पत्तों के साये में, सुखा पेड़ खड़ा है, शाखाए

अधूरे पत्तों के साये में, सुखा पेड़ खड़ा है,
शाखाएँ झड़ गईं, जड़ खिसक गई है।
अब भी वह धरती से जुड़ा, प्राकृतिक संबंध है,
आँचल से लिपटा हुआ, चारों ओर शांति का आंच है।
प्रतीक्षा में वह बीती यादों का संगम है,
विरह से भरा हुआ, स्नेह का अविस्मरण है।
बदले न बदले समय के संग, वह अधीर है,
विश्वास से पले हुए, सच्चे रिश्तों का आधार है।

©Ashish Maurya
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