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कुछ यूँ याद रहता है मानो रोम रोम राम बसा कण कण मे

कुछ यूँ याद रहता है
मानो रोम रोम राम बसा
कण कण मे घनश्याम बसा है

तेरी भक्ति से मुझे शक्ति मिलती
तेरी शक्ति मुझे कमज़ोर ना होने देती

कान्हा तेरे बाँसुरी की धुन अब मैं नींद में भी हूं सुनती
तूने जो छेड़ा कृष्ण... रंगीन बागों में मैं अकेली ही खुब हूं झूमती....  लगी लगन तेरी भक्ति की, तुझमें पावन आसक्ति की।
दुनिया मे सत्य की राह चलू, ऐसे संकल्पित शक्ति की।।
:- काव्य पथिक Team 

👉आइए आज लिखते हैं कुछ ऐसे ही अपने विस्वास व हिम्मत देने वाले अपनो के बारे में चाहे वो माँ स्वरूप हो, गुरु हो, मित्र हो या सहचरी, ....

कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-
कुछ यूँ याद रहता है
मानो रोम रोम राम बसा
कण कण मे घनश्याम बसा है

तेरी भक्ति से मुझे शक्ति मिलती
तेरी शक्ति मुझे कमज़ोर ना होने देती

कान्हा तेरे बाँसुरी की धुन अब मैं नींद में भी हूं सुनती
तूने जो छेड़ा कृष्ण... रंगीन बागों में मैं अकेली ही खुब हूं झूमती....  लगी लगन तेरी भक्ति की, तुझमें पावन आसक्ति की।
दुनिया मे सत्य की राह चलू, ऐसे संकल्पित शक्ति की।।
:- काव्य पथिक Team 

👉आइए आज लिखते हैं कुछ ऐसे ही अपने विस्वास व हिम्मत देने वाले अपनो के बारे में चाहे वो माँ स्वरूप हो, गुरु हो, मित्र हो या सहचरी, ....

कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-
nehapathak7952

Neha Pathak

New Creator