|| प्रियतम || इतनी उत्तेजित होती हो सहसा ही सुन के नाम मेरा यानी कि विह्वल तुम भी हो छीना है जो आराम मेरा जब साँझ ढले जब चाँद चले उस पल में प्रियतम आ जाना मैं गति हृदय की रोकूँगा