शिकायत कैसे करूँ तुमसे, मोहब्बत की "ख़ता" होगी "दिलरुबा" है तू मेरी, ना कभी तू "बेवफ़ा" होगी फ़ासले है जो दरमियान तेरे-मेरे, हमारी नासमझी हैं बढ़ते "फ़ासले" की वज़ह सिर्फ़ गलतियां तेरी मेरी हैं आ बैठ,करे गुफ़्तगू, कुछ समझ मुझे तू और कुछ मैं इश्क़ पाक हमारा, यूँ तोहमत ना लगाए हम इश्क़ में सिलसिला अब ख़तम करें नादानी का यह हम दोनों मिलकर प्यार से करे शिकायत दूर अपनी हम दोनों ♥️ Challenge-573 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।