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"माँ का रुदन भेज रहा है मैंरा अन्तमन, पिता की आंखे

"माँ का रुदन भेज रहा है मैंरा अन्तमन, पिता की आंखे मुख होकर पथराई है |बहना तेरी कह रही मुझसे, समीप राखी आयी है कहा छोड़ आये हो तूम सूनी भाई की कलाई है | बता रहा है ए दोस्त क्या जबाब दूँ तेरी भोली प्रीत को,कहा था भैया सही सलामत लाओगे ना मैंरे मीत को,,

©vs raj
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