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बंद करो ये शोरगुल, काट खाने को आते हैं मुझे ये। अच

बंद करो ये शोरगुल, काट खाने को आते हैं मुझे ये।
अचानक इस तमतमाई हुई आवाज़ को सुन कर चंचल का दिल मायूस हो गया। फिर भी उसने अपने मन को मजबूत कर कहा- पिताजी, आपको क्या तकलीफ हैं इन सबसे।
मुझे ये घुंघरू की आवाज़ बिल्कुल पसंद नहीं  हैं। मुझे ये नाच गाना अच्छा नहीं लगता। छोड़ दो ये सब।

पिताजी सुर-ताल तो व्याप्त हैं कण-कण में, पानी के टिप-टिप में, कल-कल करती नदियों में, बच्चे की अठखेलियों में, सरस्वती माँ की वीणा में, सब जगह।

अब तू पिद्दी से लड़की मुझे समझाएगी, कि कहाँ क्या हैं? पंडित हूँ मैं। सारे ज्ञान कंठस्थ हैं मुझे। इतना कहते ही पंडित जी ने चंचल के पैरों से घुंघरू निकाल के घर के बाहर फेंक दिए।

चंचल ने भी खामोशी की चादर ओढ़ ली हैं......

 #YQbaba #YQdidi #व्याप्त #ghungru #pandit #surtaal 
PC:-Google
बंद करो ये शोरगुल, काट खाने को आते हैं मुझे ये।
अचानक इस तमतमाई हुई आवाज़ को सुन कर चंचल का दिल मायूस हो गया। फिर भी उसने अपने मन को मजबूत कर कहा- पिताजी, आपको क्या तकलीफ हैं इन सबसे।
मुझे ये घुंघरू की आवाज़ बिल्कुल पसंद नहीं  हैं। मुझे ये नाच गाना अच्छा नहीं लगता। छोड़ दो ये सब।

पिताजी सुर-ताल तो व्याप्त हैं कण-कण में, पानी के टिप-टिप में, कल-कल करती नदियों में, बच्चे की अठखेलियों में, सरस्वती माँ की वीणा में, सब जगह।

अब तू पिद्दी से लड़की मुझे समझाएगी, कि कहाँ क्या हैं? पंडित हूँ मैं। सारे ज्ञान कंठस्थ हैं मुझे। इतना कहते ही पंडित जी ने चंचल के पैरों से घुंघरू निकाल के घर के बाहर फेंक दिए।

चंचल ने भी खामोशी की चादर ओढ़ ली हैं......

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shashirawat3736

Shashi Aswal

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