अल्फाजों की मिट्टी से सपनों के आशियाने बनाता हूं....... कुछ को "बेकार"....कुछ को ,"कलमकार" नजर आता हूं.....!! स्याही के रंगों से अपनी दुनिया रंगीन बनाता हूं...... मैं जमाने की बेवफाई के किस्से अपनी कलम को सुनाता हूं.....!! हर शाम शायरी की महफिलें सजाता हूं..... मैं शब्दों से खेलने का अपना हुनर आजमाता हूं....!! जमाने की ठोकरें खाकर पलभर में बिखर जाता हूं.... मैं लड़खड़ाकर हर बार फिर संभल जाता हूं......!! मैं लफ्जों की पहेलियां बखूबी सुलझाता हूं..... कुछ को "बेकार".... कुछ को "कलमकार" नजर आता हूं....!! कुछ को "बेकार".....कुछ को कलमकार नजर आता हूं.....✍🏼✍🏼 #रातकाअफ़साना #yourquote #yourquotebaba #yourquotedidi #yqwriters #yqquotes #poetry #shayari