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वो बंसी बजा रहे थे; गजब कमाल है ------------------

वो बंसी बजा रहे थे; गजब कमाल है
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मेरे बारे में; तुम्हारे मन में क्या ख्याल है
हर जवाब हाजिर है; पूछिए क्या सवाल है

तुम गुजर गए करीब से; मैं सोचता रहा
इस बात का तब से; अब तक मलाल है

हर तरफ लगी थी आग; तमाशा बहुत हुआ 
वो बंसी बजा रहे थे; गजब कमाल है

चुप रहो तो बेहतर है; सम्मान भी मिले
आवाज उठाई तो समझो; गर्दन हलाल है

किस बात की शरम है, खुलकर सौदा करो
हम भी दलाल हैं और वो भी दलाल है

अमिताभ बुधौलिया
वो बंसी बजा रहे थे; गजब कमाल है
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मेरे बारे में; तुम्हारे मन में क्या ख्याल है
हर जवाब हाजिर है; पूछिए क्या सवाल है

तुम गुजर गए करीब से; मैं सोचता रहा
इस बात का तब से; अब तक मलाल है

हर तरफ लगी थी आग; तमाशा बहुत हुआ 
वो बंसी बजा रहे थे; गजब कमाल है

चुप रहो तो बेहतर है; सम्मान भी मिले
आवाज उठाई तो समझो; गर्दन हलाल है

किस बात की शरम है, खुलकर सौदा करो
हम भी दलाल हैं और वो भी दलाल है

अमिताभ बुधौलिया