बोझ है ये शरीर अर्ध बेहोश है, मुख पर सूजन, कंठ इसका खामोश है, कुछ लोगों की नजरों मे ये कमजोर है, अगर इस हाल में भी लेकिन जो जोश है, हार ना मानना ही मेरा सबसे भयंकर रोग है, इबादत और मेहनत जिसके कर्मयोग हैं, खुद की खोज में निकले जो, रोम रोम जिसका सरफरोश की भट्टी हो, जिंदगी को कैसे माने वो बोझ, सीख लिया जिसने बनाना हर मुश्किल को, अपनी ऊर्जा का स्त्रोत, जिंदगी को कैसे माने वो बोझ, ए संसार तू मुझे न रोक, मुझसे हारने का शोक बन जायेगा तेरा, सबसे बड़ा बोझ, ए संसार तू मुझे न रोक, ©Akhil Kael #riseofphoenix #stormofphoenix #जोश #मजबूत #कर्म #कर्मभूमि #हार #जीत # #PoetInYou