पढा करती हूँ, रात दिन। सुना करती हूँ, रात दिन, लिखा करती हूँ, रात दिन । चुन कर अरमानो के मोती, चूनर अपनी सजाती हूँ, रात दिन। महफिले-इश्क की रोशनी के लिए, इस दिल को जलाती हूँ, रात दिन। यूँ तो तुम कभी, आते नहीं ख़्वाबों मे बुलाती हूँ, रात दिन। सुप्रभात लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳