घर आँगन की यादों में वो हर सुबह को बस यूँ ही शाम किये जा रहा था। अपने काम पर ध्यान देना उसके लिए ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वो कोई यातना झेल रहा हो। हो भी क्यों ना,आजतक कभी घर से दूर रहना जो नही पडा।घर से मोह तो उसे था ही परन्तु घर के सभी सदस्य,माँ बाबा भाई बहन सभी उससे कितना प्यार करते थे, इस बात का एहसास भी उसे हो चला था। जवानी की दहलीज़ पर रूठकर एक बार घर छोड़ कर जाने की धमकी देने वाला किशोर आज घर आँगन का महत्व समझ चुका था। और अब विडम्बना देखो इसी घर आँगन को सँवारने के लिये, उसे इसी से दूर रहना पड़ रहा है। #घरआँगन #yqbaba #yqdidi #yqhindi #life #जीवन #writer #inspiration