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आज इतने साल बाद बारिश के बेहतरीन शाम को देखकर मुझे

आज इतने साल बाद बारिश के बेहतरीन शाम को देखकर मुझे वह शाम याद आ गई 
वहीं शाम जहां से ये कहानी शुरू हुई थी 
कैसे भूल सकती हूं उन दिनों को 

"वो पहली बारिश थी जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था
 मैं रोज की तरह अपने कमरे में थी और दिन उस दिन इतवार था"

उस दिन बारिश मानो एक बेहद खूबसूरत तोहफा थी मेरे लिए 
 बारिश आई और मैं छाता लेकर छत की ओर भागी

तभी 'बुलबुल संभल कर जाना' कहते हुए मां की आवाज कान से टकराई
 लेकिन मैंने अनसुनी कर दी
 फिर ऊपर रूम में खड़ी खड़ी बारिश का मजा लेते रही

खिड़की से अपना हाथ बाहर निकालकर बारिश की कुछ बूंदों को महसूस कर रही थी 
फिर रूम से मैं छाता लेकर बाहर आई 
सोचा बाहे फैला कर भीग लू 
इस बारिश की एक-एक बूंद को अपने अंदर भर लू 
फिर मम्मी की ढाट याद आई
सोचा बेटा, अगर भीग गई तो घर में घुस नहीं पाएगी 
फिर बस चुपचाप छाता पकड़े खड़ी रही 

मगर पता है बारिश ,
यह बारिश एक ऐसी चीज है जो बैंकर को भी राइटर बना देती है 
और हम पहले से ही कलम हाथ में पकड़े रहते थे 
तो एक हाथ में छाता पकड़कर और दूसरे हाथ से बारिश की बूंदों को छूने में मैं इतनी खोई थी की तभी सामने वाली छत पर मैंने उसे बाहें फैलाए खड़े देखा था
मैंने भी छाका फेंका और खुले मन से बारिश को गले लगाया था 
वह बेखबर था कि उसे कोई देख रहा था 

अचानक ही बारिश कम हुई और उसकी नजरें मुझ पर गई 

मैंने कुछ ना कहा और सीधा नीचे चली गई
कुछ देर बाद छत पर कपड़े सुखाने मैं आई थी तब भी वो हमारी छत की ओर देख रहा था
.
......
..........

"ये प्यार की शुरुआत थी
बरसात में हुई हमारी पहली मुलाकात थी"
आज इतने साल बाद बारिश के बेहतरीन शाम को देखकर मुझे वह शाम याद आ गई 
वहीं शाम जहां से ये कहानी शुरू हुई थी 
कैसे भूल सकती हूं उन दिनों को 

"वो पहली बारिश थी जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था
 मैं रोज की तरह अपने कमरे में थी और दिन उस दिन इतवार था"

उस दिन बारिश मानो एक बेहद खूबसूरत तोहफा थी मेरे लिए 
 बारिश आई और मैं छाता लेकर छत की ओर भागी

तभी 'बुलबुल संभल कर जाना' कहते हुए मां की आवाज कान से टकराई
 लेकिन मैंने अनसुनी कर दी
 फिर ऊपर रूम में खड़ी खड़ी बारिश का मजा लेते रही

खिड़की से अपना हाथ बाहर निकालकर बारिश की कुछ बूंदों को महसूस कर रही थी 
फिर रूम से मैं छाता लेकर बाहर आई 
सोचा बाहे फैला कर भीग लू 
इस बारिश की एक-एक बूंद को अपने अंदर भर लू 
फिर मम्मी की ढाट याद आई
सोचा बेटा, अगर भीग गई तो घर में घुस नहीं पाएगी 
फिर बस चुपचाप छाता पकड़े खड़ी रही 

मगर पता है बारिश ,
यह बारिश एक ऐसी चीज है जो बैंकर को भी राइटर बना देती है 
और हम पहले से ही कलम हाथ में पकड़े रहते थे 
तो एक हाथ में छाता पकड़कर और दूसरे हाथ से बारिश की बूंदों को छूने में मैं इतनी खोई थी की तभी सामने वाली छत पर मैंने उसे बाहें फैलाए खड़े देखा था
मैंने भी छाका फेंका और खुले मन से बारिश को गले लगाया था 
वह बेखबर था कि उसे कोई देख रहा था 

अचानक ही बारिश कम हुई और उसकी नजरें मुझ पर गई 

मैंने कुछ ना कहा और सीधा नीचे चली गई
कुछ देर बाद छत पर कपड़े सुखाने मैं आई थी तब भी वो हमारी छत की ओर देख रहा था
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"ये प्यार की शुरुआत थी
बरसात में हुई हमारी पहली मुलाकात थी"