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माँ दुर्गा हो जब द्वार खड़ी गुड़ी में लिपटी हो सौग़ा

माँ दुर्गा हो जब द्वार खड़ी 
गुड़ी में लिपटी हो सौग़ात भरी 
जब टेसू (पलास) भी अभिवादन दे 
तन्मय इस बेला में वासंती सिंदूरी हो 
तब भौरें भी करते हो गुंजन
तितली भी फिरती हो मधुवन 
जब प्रकृति का नव श्रृंगार सजे 
कोयल का मल्हार बजे 
नया मौसम नया आगाज़ भरे 
अलसाई जब धूप खिले 
बंजर में कोई फूल मिले 
हो बरखा का एहसास भरा 
झूम उठे जब हरी धरा 
तब ही हिन्दू नववर्ष मना !!!
By neetu sahu✍

©Neetu Sahu hindu nav varsh
माँ दुर्गा हो जब द्वार खड़ी 
गुड़ी में लिपटी हो सौग़ात भरी 
जब टेसू (पलास) भी अभिवादन दे 
तन्मय इस बेला में वासंती सिंदूरी हो 
तब भौरें भी करते हो गुंजन
तितली भी फिरती हो मधुवन 
जब प्रकृति का नव श्रृंगार सजे 
कोयल का मल्हार बजे 
नया मौसम नया आगाज़ भरे 
अलसाई जब धूप खिले 
बंजर में कोई फूल मिले 
हो बरखा का एहसास भरा 
झूम उठे जब हरी धरा 
तब ही हिन्दू नववर्ष मना !!!
By neetu sahu✍

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