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जाने क्यों बिछड़ गए वो दिन, जाने क्यों बिछड़ गए वो

जाने क्यों बिछड़ गए वो दिन,
जाने क्यों बिछड़ गए वो पल।
जब सिर्फ कलम कि ही जरुरत थी और 
सिर्फ कागज़ ही जिंदगी थी।
वो वक्त कूछ और था वो लम्हें कूछ और थे,
जब कलम से ज्यादा आंखे लिखा करती थी,
और धड़कन ही स्याही के डोर थे।
तन्हाईयां तब भी थी बस खूद को सिमट जाने से रोक लेता था,
बिखरा हूआ तब भी था बस खूद को यूही कही समेट लेता था।
खूद को थोडा वक्त देता था ,लेकिन यू खाली सा कभी ना रहता था।
अकेले में कूछ सहमा जरुर था,लेकिन यू डरा हूआ नहीं था।
आस्मान भी बेरंग हो गए, शामें भी जल्द ही ढलने लगी,
हवा ने भी रुख बदल लिया ,लहरों कि भी आहटे यूही ढेर हो गई।
हम तो यूही उलझ गए जिंदगी कि डो़र में,
और यह दूनिया हमारे लिए अंजान बन गई
कहीं अपनो के ही शोर में।

 #pastlife #loversdiary #rainymemories #memoriesforlife #yqlover #yqbaba #yqdidi #yqdada
जाने क्यों बिछड़ गए वो दिन,
जाने क्यों बिछड़ गए वो पल।
जब सिर्फ कलम कि ही जरुरत थी और 
सिर्फ कागज़ ही जिंदगी थी।
वो वक्त कूछ और था वो लम्हें कूछ और थे,
जब कलम से ज्यादा आंखे लिखा करती थी,
और धड़कन ही स्याही के डोर थे।
तन्हाईयां तब भी थी बस खूद को सिमट जाने से रोक लेता था,
बिखरा हूआ तब भी था बस खूद को यूही कही समेट लेता था।
खूद को थोडा वक्त देता था ,लेकिन यू खाली सा कभी ना रहता था।
अकेले में कूछ सहमा जरुर था,लेकिन यू डरा हूआ नहीं था।
आस्मान भी बेरंग हो गए, शामें भी जल्द ही ढलने लगी,
हवा ने भी रुख बदल लिया ,लहरों कि भी आहटे यूही ढेर हो गई।
हम तो यूही उलझ गए जिंदगी कि डो़र में,
और यह दूनिया हमारे लिए अंजान बन गई
कहीं अपनो के ही शोर में।

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