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कवि के पेट में नही खून में कूदते हैं चूहे जैसे मन

कवि के पेट में नही 
खून में कूदते हैं चूहे
जैसे मन का दर्पण 
आगे देखने ही नहीं देता
प्रतिबिम्ब दिखाता रहता है
जिससे उबाल बढ़ता है
कूदने लगते हैं चूहे
भाव प्रधानता में
तीव्र सहजता से भांपना
जो चुभती है कलम की नोख बन कर
वो जानता है
कवि सधेगा तो
कविता सधेगी! 
कवि के पेट में नहीं खून में कूदते हैं चूहे 


#मै_कविता 
#कोईमुश्किलनहीं 
#प्रतिस्पर्धा 
#yqdidi      #YourQuoteAndMine
कवि के पेट में नही 
खून में कूदते हैं चूहे
जैसे मन का दर्पण 
आगे देखने ही नहीं देता
प्रतिबिम्ब दिखाता रहता है
जिससे उबाल बढ़ता है
कूदने लगते हैं चूहे
भाव प्रधानता में
तीव्र सहजता से भांपना
जो चुभती है कलम की नोख बन कर
वो जानता है
कवि सधेगा तो
कविता सधेगी! 
कवि के पेट में नहीं खून में कूदते हैं चूहे 


#मै_कविता 
#कोईमुश्किलनहीं 
#प्रतिस्पर्धा 
#yqdidi      #YourQuoteAndMine