सोता हर मुसाफिर शहर का सपने देखता है जीता है ज़िन्दगी आम का पर कुछ खास बने के लिया सपने देखता है थक हार कर जब गिरता है प्राणी शहर का फिर नये सपने लेकर ज़िंदा हो उठताह है #sahar