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भगत सिंह के देश में गंगापुत्र

                    भगत सिंह के देश में
गंगापुत्र  की गंगा  मैया,  अब सड़े-गले लाश ढ़ो रही है,!
भागीरथी अपनी  किस्मत पे,  फूट-फूट  कर रो रही है,!
और उसका प्यारा बेटा न जाने कहाँ दुबक कर बैठा है,!
क्या उसकी करुण पुकार, उसे अब नहीं बुला रही है,??
               आजकल जिसकी हवा चली है, वो मौतें नहीं, नरबलि हैं,!
               व्याप्त हर दिल में दशहत है, चारों ओर मची खलबली है,!
               उनके लिए कोई  बड़ी बात नहीं,  कि वो तो बंडे संडे हैं,!
               लाशों के ढेर पर ही तो,  उनकी किस्मत फली, फूली है,!!
'माता' कहकर वोट बटोरे,  ऐसा मतलबी  पुत्र नहीं देखा,!
'दीदी' कह मजाक उड़ाये,कोई रामभक्त भी नहीं सरीखा,!
हर रूप में छलिया है वो, पर नहीं कृष्णचरणों की धूल है,!
है वो व्यापारी गुजरात का,  एक नम्बर का पक्का झूठा,!!
               वो  फिर  आएगा नए रूप बदलकर, जब चुनाव आयेंगे,!
               तब तक तुम्हारे हरे- हरे घाव,  कुछ हद तक भर जायेंगे,!
               थमा देगा वो तेरे हाँथों में,  वादों का कोई नया झुनझुना,!
               या फिर धर्म की अफीम चाटकर, सभी दर्द भूल जायेंगे,!!
अपनों को खोकर भी , जब दर्द से लहू नहीं उबलता है,!
तभी ऐसे मक्कारों का राज,  निर्बाध  बेखौफ़ चलता है,!
जिसको सत्ता सौंपी है,  उससे  सवाल  क्यूँ  नहीं  करते?
भगत सिंह के देश में क्यूँ, अब कायर हर घर पलता है?? #selfishworld #selfishleaders #jhoothewaade #jhoothelog #makkar #business
                    भगत सिंह के देश में
गंगापुत्र  की गंगा  मैया,  अब सड़े-गले लाश ढ़ो रही है,!
भागीरथी अपनी  किस्मत पे,  फूट-फूट  कर रो रही है,!
और उसका प्यारा बेटा न जाने कहाँ दुबक कर बैठा है,!
क्या उसकी करुण पुकार, उसे अब नहीं बुला रही है,??
               आजकल जिसकी हवा चली है, वो मौतें नहीं, नरबलि हैं,!
               व्याप्त हर दिल में दशहत है, चारों ओर मची खलबली है,!
               उनके लिए कोई  बड़ी बात नहीं,  कि वो तो बंडे संडे हैं,!
               लाशों के ढेर पर ही तो,  उनकी किस्मत फली, फूली है,!!
'माता' कहकर वोट बटोरे,  ऐसा मतलबी  पुत्र नहीं देखा,!
'दीदी' कह मजाक उड़ाये,कोई रामभक्त भी नहीं सरीखा,!
हर रूप में छलिया है वो, पर नहीं कृष्णचरणों की धूल है,!
है वो व्यापारी गुजरात का,  एक नम्बर का पक्का झूठा,!!
               वो  फिर  आएगा नए रूप बदलकर, जब चुनाव आयेंगे,!
               तब तक तुम्हारे हरे- हरे घाव,  कुछ हद तक भर जायेंगे,!
               थमा देगा वो तेरे हाँथों में,  वादों का कोई नया झुनझुना,!
               या फिर धर्म की अफीम चाटकर, सभी दर्द भूल जायेंगे,!!
अपनों को खोकर भी , जब दर्द से लहू नहीं उबलता है,!
तभी ऐसे मक्कारों का राज,  निर्बाध  बेखौफ़ चलता है,!
जिसको सत्ता सौंपी है,  उससे  सवाल  क्यूँ  नहीं  करते?
भगत सिंह के देश में क्यूँ, अब कायर हर घर पलता है?? #selfishworld #selfishleaders #jhoothewaade #jhoothelog #makkar #business