For Sanwari, 4th April, 2020 एक उधेड़-बुन सी है कि क्या करूँ तुझे तो अब मेरा बोलना नहीं भाता और मेरा देर तक चुप रहना भी नहीं सुहाता मुझे तुझमें अब वो रंग नहीं दिखता कि तू ख़ुद ही अब ख़ुद-रंग नहीं होती तू जैसी है अब वैसी नहीं होती। ... गौतम #udhedbun #quote