"ठीक हूँ" बस एक एसा चाहिए जो फर्क समझ पाए, मेरे "ठीक हूँ" के पीछे का दर्द समझ पाए, चहरे चढा कर जो हम निकलते है घर से, क्या हासिल कर लेते है युंह सज सवर के ? किसने कोशिश की अंतर को भी सजाने की? ताकत जडें देती है,फूल नहीं शजर के, किसान ने माँगी बारिश,अपनी फसलों के लिए, शायर ने माँगी बारिश,कुछ गज़लों के लिए, ख्वाहिशों मे कुछ तो दम है, के पिघल गए आसमानी बादल,इंसानी मसलों के लिए, हकीम कोई एसा जो यह मर्ज समझ पाए, मेरे "ठीक हूँ" के पीछे का दर्द समझ पाए ।। #yqbaba #yqdidi #hindi #shayari #iamfine #hindipoetry #life #philosophy