आवाज़ तब उठानी चाहिए जब आपके आँखों के सामने गलत हो रही होती हैं, जब आपके सामने गलत हो चुकी होती हैं, तब आपको सहानुभूति जताने कि कोई हक नहीं है क्योंकि जब गलत हो रहा होता हैं, तब आप मौन होकर देखते हैं, तब आपकी ये सहानुभूति बेशर्मी और कायरता से ज्यादा और कुछ भी ना कहलाएगी। सच्चाई बंया करने के लिए जमीर का जिन्दा होना और उसूल का पक्का होना जरुरी होता हैं, जिसका जमीर ख़त्म हो जाता हैं, समझो वो मुर्दो के फौज में में खड़ा नज़र आता हैं। (©️®️फक्कड़ मिज़ाज सिन्टु तिवारी) #Napotism #SushantSinghRajput #Napotism #nojotohindi #Nojoto