माही एक दिन में चला जाऊँगा यकीनन में मर जाऊँगा तुम ढूँढोगी मुझको और मैं कहीं खो जाऊंगा हमेशा फिर मेरी यादें तुम को सताएंगी जीते जी मैं याद न आया मर कर पर आऊँगा तुम मुझको सोचोगी और सोचे जाओगी मै ये सब कहीं दूर से महसूस कर पाउँगा जब जब तुम आईने मैं खुद को देखोगी क़तरा क़तरा आंसू बन कर चेहरे पर छा जाऊँगा जब रातों को सोये होगे खवाबों मैं आऊँगा अचानक उठकर रोओगी मैं आँखों से ओझल हो जाऊंगा फिर तुमको अंदाज़ा होगा "नासिर" के न होने का जैसे ही में मर जाऊंगा फिर मैं माही तेरा हो जाऊंगा ©नासिर काज़मी #ZulmKabTak