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कहीं ममता, कहीं माया, कहीं काया, कहीं छाया, छाया क

कहीं ममता, कहीं माया,
कहीं काया, कहीं छाया,
छाया कुछ भी नहीं सर छाता कह,
धूप -सरापा से बचाने को शह,
मात ही मात है जीवन में अपने,
माता कोई मेरी ममता मेरे सपने,
हो भी नाता, रिश्ता रस्ता वो,
महंगा बीते पल कुछ सस्ता हो।

©BANDHETIYA OFFICIAL माता की ममता ।
#navratri
कहीं ममता, कहीं माया,
कहीं काया, कहीं छाया,
छाया कुछ भी नहीं सर छाता कह,
धूप -सरापा से बचाने को शह,
मात ही मात है जीवन में अपने,
माता कोई मेरी ममता मेरे सपने,
हो भी नाता, रिश्ता रस्ता वो,
महंगा बीते पल कुछ सस्ता हो।

©BANDHETIYA OFFICIAL माता की ममता ।
#navratri

माता की ममता । #navratri #कविता