परछाई :- आज मिली मुझसे मेरी ही परछाई कहने लगी तेरे साथ चलू तो घुटन सी होती है... खुद को चारदीवारी में बंद तु रखती है बिना कुसूर मुझे क्यु अपने साथ रखती हैं... थक चुकी हु सुनते-सुनते मैं रोज लोगों की बातें अब देख नहीं सकती मैं तेरी सैलाब भरी ये आंखें... खुद के लिए जीना तू कब शुरू करेगी यू रिश्तो की आग में अपने साथ मुझे भी कब तक झोंकेगी... खुद से बातें करना अकेले में बड़बड़ाते रहना और रात-रात भर तन्हाई से लिपटकर रोते रहना खूब अच्छे से आता है तुझे दुनिया से दर्द छुपा लेना.... सब के सवालों के जवाब तू बड़ी तहजीब से देते फिरती हैं एक बात बता मेरे इस सवाल का जवाब मुझे कब तक देगी... तू रहले कितनी ही बंदीसों में मुझे फर्क नहीं पड़ता मगर मुझे कब तक इन बंदीसो से छुटकारा तू देगी... हां, मेरी परछाई मुझसे करती है एक ही सवाल कि मैं उसे कब तक खुद से अलग कर दूंगी ... Bhawna Vaishnav #Prchai