White वन वीटप सघन, चहुं दिश घनघोर तम विचलित सा मन, भयभीत हृदय का रुदन सब संयोग विषम, स्वाभिमान का क्रंदन, हे वेदत्रयी! ध्रुव कृपा करो, सन्मार्ग प्रशस्त प्रकाश भरो, विवेक शुद्ध नित भेद दे नूतन, दिव्य ज्ञान आभा का हो प्रस्फुटन, साहित्य का प्रवाह कर दे, हो अविरल, उन्मुक्त लेखन, मुझे अपना चाकर जान, बस करता रहे अक्षय वंदन।। ©Akshay Shivam # worship