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नाम सुनकर ही, मुझे उससे प्यार हो गया साथ उसका पाना

नाम सुनकर ही, मुझे उससे प्यार हो गया
साथ उसका पाना, इक ख्वाब हो गया
और जो मिला साथ उसका, तो एक बच्चा जवान हो गया !

थी उत्सुकता तो साथ रखने, पर डर भी उतना ही लगता था 
कहीं मेरी वाली मेरी ही जान ना बख्से, यही सोचने लगता था
पर जब जाना उसके बारे में, तो मेरा सच्चा साथी उसमें दिखता था, मेरा दिल उसमें बसता था !

हाथों में हाथ देख, कुछ लोगों को उत्सुकता होती है
उसे पा लेने की चाहत भी लोगों में होती है
पर वो भी इतनी आसानी से कहां हर किसी की होती है!

समर्पण देख जो की कद्र उसकी, तो साहस मेरा आसमान छू गया
पूरी दुनियां जीत लेना भी अब, मुश्किल कहां रह गया!
साथ लेकर जो चला उसको, तो हर कदम दमदार हो गया
और जो वो राही मिली माही को, तो पर्वत हजारो पार हो गया


आसां नही है साथ लेकर चलना उसे, पर मै सीने से उसे कभी हटने नही देता
आसां नही है राह उसकी पर चलना, पर राहों से उसे कभी डिगने नही देता
मुझ में ऊर्जा ना हो तो ना सही, पर ऊर्जा उसमे कभी घटने नही देता
लड़ना तो पडता है ख़ातिर उसके लाखों से, पर इज्ज़त उसकी कभी घटने नही देता
माना लापरवाह बहुत हूं अपने कामों सें, पर नज़र अपनी उससे कभी हटने नही देता
और वो मैरा प्यार है जनाब, ख़ैरात में उसे कभी बंटने नही देता!

हाथ जो पकड़ा हो उसका, तो अकेला महसूस होने नही देती
यादें बहुत रखता हूँ जहन में, पर तनहा रातों में कभी रोने नही देती
जानती है मौत इसकी दूर नहीं, पर बाहरी दुनियां में मुझे खोने नहीं देती
मौत को साथ लेकर चलती है, पर मौत को कभी मेरी होने नही देती
हाँ अकेला मै भी नहीं, साथ मेरे भी परेशानियाँ है और वो परेशानियों को कभी दूर होने नही देती
खुद बातें करती है दुश्मन से और मुझे कभी खुद से भी बातें करने नही देती
उसे पाकर मैं कर्तव्यवान हो गया और वो मुझे कभी कर्तव्यमुक्त होने नही देती
हाँ मैं आज दबा हूं अपने कर्तव्यों तले, पर वो मेरा गर्व कभी कम होने नही देती
और ये वो पापा की परी नहीं है, जो मझधार में साथ नहीं देती
ये मेरी गन (Gun) है जनाब, साँसे थमने पर भी मरने नहीं देती

और ऐ पापा की परी, तूने क्या सोचा मुझे कोई मिलेगी नहीं, तो देख मेरी आज वो है जिसकी पूरी दुनियां दीवानी है और जिसकी कभी ढलती नही जवानी है!

हो सकता है खुबसुरत ना हो तुझ सा.... 
पर फिर से कहता हूं ये नफरत करना छोड़ दे, वरना मेरी वाली दोबारा मौका नहीं देती

तू क्या जाने प्यार होता क्या है, जो मिलती इससे तो बताती 
के मुहब्बत सूरत की गुलाम नहीं होती
और सुन ये नही है किसी पापा की परी और ना ही किसी राजा की रानी है
ये साथी है इक यौद्धा की, बस इतनी जान ले इसके होने से ही भारत माता की इज्ज़त नीलाम नही होती,
और तेरी जैसी परियां आज बैगमजान नही होती

मानता हूं तुझे पा लेता तो जिंदगी में चाहत इसकी आज नही होती
पर इसे भी पाया तो दो मुक़ाम पा लिये वरना, ये दुनियां मेरी दोस्ती और दुश्मनी की मोहताज नहीं होती

Mahi Singh Harsal my professional love
नाम सुनकर ही, मुझे उससे प्यार हो गया
साथ उसका पाना, इक ख्वाब हो गया
और जो मिला साथ उसका, तो एक बच्चा जवान हो गया !

थी उत्सुकता तो साथ रखने, पर डर भी उतना ही लगता था 
कहीं मेरी वाली मेरी ही जान ना बख्से, यही सोचने लगता था
पर जब जाना उसके बारे में, तो मेरा सच्चा साथी उसमें दिखता था, मेरा दिल उसमें बसता था !

हाथों में हाथ देख, कुछ लोगों को उत्सुकता होती है
उसे पा लेने की चाहत भी लोगों में होती है
पर वो भी इतनी आसानी से कहां हर किसी की होती है!

समर्पण देख जो की कद्र उसकी, तो साहस मेरा आसमान छू गया
पूरी दुनियां जीत लेना भी अब, मुश्किल कहां रह गया!
साथ लेकर जो चला उसको, तो हर कदम दमदार हो गया
और जो वो राही मिली माही को, तो पर्वत हजारो पार हो गया


आसां नही है साथ लेकर चलना उसे, पर मै सीने से उसे कभी हटने नही देता
आसां नही है राह उसकी पर चलना, पर राहों से उसे कभी डिगने नही देता
मुझ में ऊर्जा ना हो तो ना सही, पर ऊर्जा उसमे कभी घटने नही देता
लड़ना तो पडता है ख़ातिर उसके लाखों से, पर इज्ज़त उसकी कभी घटने नही देता
माना लापरवाह बहुत हूं अपने कामों सें, पर नज़र अपनी उससे कभी हटने नही देता
और वो मैरा प्यार है जनाब, ख़ैरात में उसे कभी बंटने नही देता!

हाथ जो पकड़ा हो उसका, तो अकेला महसूस होने नही देती
यादें बहुत रखता हूँ जहन में, पर तनहा रातों में कभी रोने नही देती
जानती है मौत इसकी दूर नहीं, पर बाहरी दुनियां में मुझे खोने नहीं देती
मौत को साथ लेकर चलती है, पर मौत को कभी मेरी होने नही देती
हाँ अकेला मै भी नहीं, साथ मेरे भी परेशानियाँ है और वो परेशानियों को कभी दूर होने नही देती
खुद बातें करती है दुश्मन से और मुझे कभी खुद से भी बातें करने नही देती
उसे पाकर मैं कर्तव्यवान हो गया और वो मुझे कभी कर्तव्यमुक्त होने नही देती
हाँ मैं आज दबा हूं अपने कर्तव्यों तले, पर वो मेरा गर्व कभी कम होने नही देती
और ये वो पापा की परी नहीं है, जो मझधार में साथ नहीं देती
ये मेरी गन (Gun) है जनाब, साँसे थमने पर भी मरने नहीं देती

और ऐ पापा की परी, तूने क्या सोचा मुझे कोई मिलेगी नहीं, तो देख मेरी आज वो है जिसकी पूरी दुनियां दीवानी है और जिसकी कभी ढलती नही जवानी है!

हो सकता है खुबसुरत ना हो तुझ सा.... 
पर फिर से कहता हूं ये नफरत करना छोड़ दे, वरना मेरी वाली दोबारा मौका नहीं देती

तू क्या जाने प्यार होता क्या है, जो मिलती इससे तो बताती 
के मुहब्बत सूरत की गुलाम नहीं होती
और सुन ये नही है किसी पापा की परी और ना ही किसी राजा की रानी है
ये साथी है इक यौद्धा की, बस इतनी जान ले इसके होने से ही भारत माता की इज्ज़त नीलाम नही होती,
और तेरी जैसी परियां आज बैगमजान नही होती

मानता हूं तुझे पा लेता तो जिंदगी में चाहत इसकी आज नही होती
पर इसे भी पाया तो दो मुक़ाम पा लिये वरना, ये दुनियां मेरी दोस्ती और दुश्मनी की मोहताज नहीं होती

Mahi Singh Harsal my professional love