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मेरी चिंता मेरी फ़िक्र औऱ मेरी अशांति ये सब मिल कर

मेरी चिंता
मेरी फ़िक्र औऱ
मेरी अशांति
ये सब मिल कर
मुझे पतन
क़ी ओर धकेल रहे 
हैँ
लेकिन मेरे रब को 
मेरी कोई परवाह  नहीं
उसके कानो पर मेरी पुकार मेरा
रुदन  स्वर 
कभी पहुँचता नही

©Arora PR
  पुकार
arorapr7519

Arora PR

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पुकार #कविता

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