उसके लोट आने के वहम में इक अर्सा गुजर गया मैं ठहरा रहा और जीने का हर आसरा गुजर गया कभी मनता था दशहरा यहाँ अब मातम पसरा है यारों हँसता खेलता खूबसूरत वो जमाना गुजर गया मैं रहा मश्गूल एकदम लिखने में हिज्र के ग़ज़ल मियां और न जाने कब उसके घर तक का रास्ता गुजर गया वैसे तो किसी के जाने पे दर्द होता और अश्क बहते पर वो गई तो लग रहा ज़िंदगी का इक फ़लसफ़ा गुजर गया कुछ भी कर लो नहीं लगेगी अब भूख हवस की जानेमन मिरे लब से जवाँ हुस्न का चस्का और ज़ाइक़ा गुजर गया #yqdidi #yqbaba #restzone #kunu #kunal #mythoughts #dotch