#Ambedkar_Jayanti
आज मैं जिनकी वजह से बोल पा रहा हूँ ।उसकी प्रमुख वजह मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे ब्रिटिश सम्राज्य के सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं व अंतिम संतान
भिवा है। जिसने बचपन में क्लास चौथी टॉप करने के बाद अपने दादा से पुरुस्कार स्वरूप भगवान बुद्ध की जीवनी को प्राप्त किया और उसे पढकर उस समय फैली छुआछूत को मिटाने का संकल्प लिया।बचपं की शिक्षा पूर्ण कर भिवा ने मुंबई विश्वविद्यालय से बी ए और कोलंबिया से डॉ के उपाधि प्राप्त की और डॉ. भीम राव राम जी आंबेडकर बन कर भारत वापस लौटे। बचपन में बुद्ध की जीवनी थामने वाला भिवा बड़ा होकर संविधान निर्माता बाबा साहेब के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
बाबा साहेब विधिवेत्ता,अर्थशास्त्री,राजनीतिज्ञ,
शिक्षाविद्,दार्शनिक,लेखक,पत्रकार,समाजशास्त्री,
मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्,धर्मशास्त्री, इतिहासविद्
प्रोफेसर थे। भारत रत्न बाबा साहेब ने दलितों और शोषितों के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्यौछावर कर दिया ।14 अक्टूबर 1956 को भीमराव अंबेडकर ने अपने 5 लाख समर्थको के साथ में बुद्ध धर्म अपना लिया।इसके बाद उन्होंने बोधिसत्व की उपाधि ग्रहण की , इसी साल 6 दिसम्बर 1956 को भारत का यह रत्न पंचतत्व मे विलीन हो गया। अंबेडकर जी का उद्देश्य था भेदभाव मिटाना परंतु और उन्हे पता था की शिक्षा के बिना ये संभव नही। उन्होंने शिक्षा को हथियार बनाने के लियेे कहा पर कुछ फ़ायदा उठाने वालों ने अपने समाज से ही गद्दारी कर फिर से भोले लोगो को अशिक्षा की और ढकेल दिया। आज भी शिक्षा से दूर दलित समाज एक और भीम की आस में है जो शिक्षा के महत्व को समझाए और जो घृणा नही अपनाना सिखाये। मैं भारत का नागरिक अपने इस महान पूर्वज को नमन करता हूँ।
जय हिंद जय भारत #जलज