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सारे #खेल रूहों के होते हैं, #मिट्टी के #जिस्मों म

सारे #खेल रूहों के होते हैं, #मिट्टी के #जिस्मों में कशिश तब ही #पैदा होती है। जब एक #आलम ए अरवाह की #रूह का अपनी #बिछड़ी हुई दोस्त #रूह से वास्ता पड़ता है__!

वरना यहां #हसीन व #जमील चेहरे भी #कल्ब को नहीं #भाते और कभी कोई #आम सा #चेहरा भी #जान से #प्यारा हो जाता है__!!

©Adnan Ahmad #Light #Shayar #love4life
सारे #खेल रूहों के होते हैं, #मिट्टी के #जिस्मों में कशिश तब ही #पैदा होती है। जब एक #आलम ए अरवाह की #रूह का अपनी #बिछड़ी हुई दोस्त #रूह से वास्ता पड़ता है__!

वरना यहां #हसीन व #जमील चेहरे भी #कल्ब को नहीं #भाते और कभी कोई #आम सा #चेहरा भी #जान से #प्यारा हो जाता है__!!

©Adnan Ahmad #Light #Shayar #love4life