पैरों में छाले पड़ते चले गए हमने उफ्फ तक ना की, निरंतर हम चलते चले गए राह की हर मुश्किल का, डट कर सामना किया हमने हर जंग हम लड़ते चले गए कभी तो मिलेगा हमें भी आराम इस बात पर विश्वास, करते चले गए 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 168 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।