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कब कैसी हलचल पैदा हो जाये कुछ कहा नही जाता कब क्यू

कब कैसी हलचल पैदा हो जाये कुछ कहा नही जाता
कब क्यूँ और किसलिए मन बेचैन हो जाये कुछ कहा नही जा सकता
किस बात का ग़म है किस बात पर उदासी ये बयाँ कहा हो पाता
पर दिल उदास है आँखे नम दिल घबराया सा 
साँसों में अटकन ये सब महसूस हो जाता है बस 
अफ़सोस इसे हमसे जताया नहीं जाता।। Kuch kehna hai 
Pr kuch kehna nhi..
कब कैसी हलचल पैदा हो जाये कुछ कहा नही जाता
कब क्यूँ और किसलिए मन बेचैन हो जाये कुछ कहा नही जा सकता
किस बात का ग़म है किस बात पर उदासी ये बयाँ कहा हो पाता
पर दिल उदास है आँखे नम दिल घबराया सा 
साँसों में अटकन ये सब महसूस हो जाता है बस 
अफ़सोस इसे हमसे जताया नहीं जाता।। Kuch kehna hai 
Pr kuch kehna nhi..
nehapathak7952

Neha Pathak

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