कब कैसी हलचल पैदा हो जाये कुछ कहा नही जाता कब क्यूँ और किसलिए मन बेचैन हो जाये कुछ कहा नही जा सकता किस बात का ग़म है किस बात पर उदासी ये बयाँ कहा हो पाता पर दिल उदास है आँखे नम दिल घबराया सा साँसों में अटकन ये सब महसूस हो जाता है बस अफ़सोस इसे हमसे जताया नहीं जाता।। Kuch kehna hai Pr kuch kehna nhi..