आजकल लोग ऐसे रुखसत हो रहे है जैसे.. क्या ही कहूँ.. बहुत बुरी स्थिति है मुल्क के अपने..
बहुत डर में गुजरा है पिछला एक पखवाड़ा यहाँ आना नहीं हो पाएगा ना जाने कितने दिन और..
किसी दोस्त के लिए बस दो lines लिखने की हिम्मत जुटाई है, जिसने अंत में यह कहा कि मर जाऊँगी तब लिखोगे, जब से पढ़ रहा, मन बहुत विचलित है..,
रोज़ किसी ना किसी के मरने की ख़बर आई है, पूरा परिवार बीमारी से लड़ रहे हैं.. ससुराल में, ननियाल में, ददियाल में, दोस्तों में एक भी परिवार नहीं दिखता जहां यह नहीं.