पर्दे से निकलकर सामने तो आओ। दिल की बे-करारी और न बढ़ाओ। जीने को चाहिए एक तेरा सहारा, दिल को जुदाई में और न जलाओ। ज़ंजीर ज़माने की तोड़कर चलो, नई ज़िंदगी के कुछ ख़्वाब बुनों, दिल की बात हमसे न छुपाओ। होकर बेखौफ सामने तो आओ। एक ही ज़िंदगी जिओ तुम खुलकर, देखो तो ज़रा सा नज़रिया बदलकर। अपनी ख़्वाहिशों को और न दबाओ। नई पहचान के साथ सामने तो आओ। सामने आने से अब तुम न घबराओ, जहाँ भी तुम जाओ हमें ही तुम पाओ। इस राह पर तुम अपने कदम बढ़ाओ। पीछे छोड़कर अतीत सामने तो आओ। ♥️ Challenge-865 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।